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Manorma by Munshi Premchandra
जगदीशपुर के दीवानसाहब की बेटी जितनी सुंदर और उतनी ही गुणी और विचारशील थी। वह अपने शिक्षक और समाज सुधारक चक्रधर को पसंद करने लगी थी। लेकिन अचानक एक दिन उनकी नजर राजा साहब पर पड़ी और अपनी तीन पत्नियों के बावजूद वे मनोरमा पर मोहित हो गए। क्या वह मनोरमा को अपनी रानी बना सकता है? या मनोरमा को उसका प्यार मिल सकता था? सरल और बोधगम्य भाषा में लिखा गया 'मनोरमा' सभी वर्गों के पाठकों के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
Books Information | |
Author Name | Munshi Premchandra |
Condition of Book | Used |
Rs.70.00
Rs.150.00
Ex Tax: Rs.70.00
- Stock: In Stock
- Model: SGCh60
- Weight: 1.00kg
- ISBN: 9789380703954